विजेट आपके ब्लॉग पर "According to Bhagvad Gita, "Be it in India or any other country, the Soul in all is identical." So we respect all religions........... Description Population of Hindu religion is third rank in the world and first rank in India and Nepal. Hinduism always supports world unity. The word "Hindu" is not the ancient word in India. The word "Hindu" is identified by Arabian countries and the word "India" is identified by europeon countries. The ancient name of land India is "Bharat" and the religion Hindu was "Sanatan/Vaidik Religion" There is one verse in the Vishnu Puran. उत्तरं यत्‌ समुद्रस्य हिमाद्वेश्चैव दक्षिणं । वर्षं तद्‌ भारतं नाम भारती यत्र संतति ॥ The land situated north of ocean (The indian ocean) and south of the Himalaya, is known as Bharat and the peoples are known as Bharatiya. In every Hindu holy books, the theory is not only for India. It can affected to every Human. Truth and non-violence is very ancient in India. Gautam Buddha & Mahatma Gandhi, both were believe in them. Hinduism always believe in "वसुधैव कुटुम्बकम्‌"https://www.facebook.com/MAHUVA364290"> ગુજરાતનું કાશ્મીર. विवरण Mahuva is a small town on the outskirts of Bhavnagar District in the State of Gujarat, India. Mahuva has a very beautiful sea and beach located near the historical Bh avani Temple. Mahuva is the residence of the popular Hindu preacher Morari Bapu. Mahuva is also known for wooden toys, raw onion, groundnuts, and local Jamadar mango.

બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015

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શુક્રવાર, 28 ઑગસ્ટ, 2015

પનીર કબાબ

પનીર કબાબ
......................
સામગ્રી:

300 ગ્રામ પનીર
5 ગ્રામ આદું
1/4 કપ દૂધ
3 ટેબલસ્પૂન મેંદો
1 ટીસ્પૂન લાલ મરચાંનો પાવડર
2 લીલાં મરચાં
1 પેકેટ સોલ્ટ બિસ્કિટ
થોડા લીલા ધાણા
સ્વાદ અનુસાર મીઠું
તળવા માટે તેલ

રીત:

- પનીરને સ્મેશ કરી લો.
- તેમાં લીલા ધાણા, લાલ મરચાંનો પાવડર, મીઠું અને આદુ-મરચાં ઝીણા સમારીને ઉમેરો.
- મિશ્રણમાંથી નાના કબાબ બનાવી લો.
- બિસ્કિટનો ચૂરો કરો અને વધેલા મેંદાને દૂધમાં ઘોળીને મિક્સ કરો.
- કબાબને દૂધ અને મેંદાના ઘોળમાં બોળીને બિસ્કિટના ચૂરામાં રગદોળી લો.
- એક કઢાઈમાં તેલ ગરમ કરીને તેને તળી લો.
- ચટણી કે સોસ સાથે સર્વ કરો

"જૈન ફ્રેન્કી"

આજે માણીશું "જૈન ફ્રેન્કી"
................................
રોટલી માટે -
2 કપ મેંદો
1૦૦ ગ્રામ ઘઉંનો લોટ
2 ટે. સ્પૂન તેલ
1/2 ટી. સ્પૂન સાજીના ફુલ
રોલ્સ માટે - 5૦૦ ગ્રામ ખાસડીયા કેળા
1૦૦ ગ્રામ ઝીણી સુધારેલી કોબી
2 નંગ ટામેટા
1 નંગ ઝીણું સુધારેલું કેપ્સીકમ
1 ટી. સ્પૂન ગરમ મસાલો
ઝીણી સુધારેલી કોબીજ
લાંબા સુધારેલા કોળાનાં પઇતા
ખજૂરની ચટણી
1 ટી. સ્પૂન લાલ મરચું
1 ટી. સ્પૂન લીલાં મરચાં વાટેલા
1/2 લીંબુનો રસ
2 ટી. સ્પૂન ખાંડ
૩ સ્લાઇઝ બ્રેડ
૩ ટી. સ્પૂન ચીલી સોસ
તીખી કોથમીરની ચટણી
તેલ પ્રમાણસર - મીઠું પ્રમાણસર

ચીલી સોસ - લીલાં મરચાં વાટી મીઠું નાંખી પાણી નાંખવું. ઊપર પાણી ઠરે પછી સાચવી પાણી લેવું.

રોટલી માટે ની રીત -
મેંદોમા ઘઉંનો લોટ મીઠું સાજીના ફૂલ નાખી ચાળી લેવા. મીઠું મોણ નાંખી પરોઠાથી સ્હેજ દહિથી કઠણ કણેક બાંધી 3 કલાક મૂકી રાખવી. પછી કણેક મસળી મોટા લૂઆ કરવા. તેની મોટી પાતળી રોટલી વણી તવા પર બે બાજુ શેકવી. કડક ન થવી જોઇએ. આ રીતે બધી રોટલી તૈયાર કરી નેપકીનમા ઢાંકી મૂકવી.

રોલ્સ માટેની રીત -
કેળા બાફી માવો કરવો. તેમા ટામેટા મરચાં કોબીજ બધું ઝીણું સમારી કેળા વડાં જેવો મસાલો કરવો. બ્રેડને પાણીમા પલાળી નીચોવી મેળવવું. તેના લાંબા રોલ્સ કરી મેંદોમા રગદોળી ગરમ તેલમા તરવા. કોથમીરને ખજૂરની અલગ અલગ ચટની બનાવવી.

પીરસવાની રીત -
1 ટી. સ્પૂન તેલ તવા પર મૂકી રોલ્સ મૂકવો. સ્હેજ ગરમ કરી બાજુ પર ખસેડી એક રોટલી તેજ તેલમા મૂકી બે બાજુ ફેરવવી. તેને પ્લેટમા મૂકી તેના પર રોલ્સ મૂકી તેના પર કોથમીર ચટણી - ખજૂરની ચટણી મૂકી ઊપર ઝીણી સુધારેલી કોથમીર કોરી નાંખવી. તેના ઊપર ચાટ મસાલો ભભરાવી રોટલીના રોલ વાળી ગરમ ગરમ પીરસવું.

ફ્રેન્કી જુદી જુદી રીતે પીરસાય છે.

"હલવાસન"

"હલવાસન" 
.......................
સામગ્રી - 2 લીટર દૂધ, 2 ચમચી રવો, 1 ચમચી ગુંદર (ઝીણુ વાટેલુ) 16 બદામ, 1/2 લીંબૂ, 150 ગ્રામ ખાંડ, 4 ઈલાયચી, 2 ચમચી ઘી.

બનાવવાની રીત - એક વાસણમાં દૂધને 10 મિનિટ સુધી ઉકળવા દો. તેમા લીંબૂનો રસ નીચોડી દો અને ઉકળવા દો. બીજી બાજુ કઢાઈમાં ઘી ગરમ કરીને રવો સેકો અને ઉકળતા દૂધમાં નાખી દો.

ત્યારબાદ ઝીણુ વાટેલુ ગુંદર સેકીને ઉકળતા દૂધમાં નાખો. ખાંડને કઢાઈમાં સેકો અને ઓગાળીને લાલ થતા સુધી ઉકળતા દૂધમાં નાખો અને ઈલાયચી પાવડર પણ નાખી દો. દૂધ જ્યારે ઉકળીને મેવા જેવુ ઘટ્ટ થઈ જાય કે તેને ગેસ પરથી ઉતારી લો .

થોડુ ઠંડુ થાય ત્યારબાદ હાથથી મસળીને 16 ભાગમાં તેના ગોળા બનાવી લો અને હથેળીથી થોડુ દબાવીને ઉપર એક બદામ મૂકીને સજાવો.

રવિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2013

-Nature Care

कटि स्नान ; सब रोगों की एकदवा-’मिटटी,पानी,धूप,हवा’------------------------------Nature Care Dr. K.Dwivediसाधन :-टब, छोटा स्टूल, छोटा तौलिया,कम्बल, पानी |जल का तापमान :-कटि स्नान में प्रयोग में लाये जानेवाले जल का तापमान शरीर केतापमान से कम रहना चाहिएतभी जल का प्रभाव शरीर परहो सकेगा | सामान्यतः गर्मी केदिनों में जल का तापमान 55डिग्री फारनहाईट तथा सर्दियों में७५ से ८४ डिग्री फारनहाईटरहना चाहिए | ठन्डे जल का तापमानबढ़ाने के लिए उसमे अलग से गर्मपानी मिला देना चाहिए |कटि स्नान करने का समय :-कटि स्नान प्रारंभ में पांच मिनट सेशुरू करके प्रतिदिन एक -एकमिनट बढ़ाते हुए पंद्रह मिनट तककिया जा सकता है | बच्चों व्कमजोर व्यक्तियों को पांच मिनटसे अधिक नही लेना चाहिए |प्रातः खाली पेट कटि स्नानकरना चाहिए |कटि स्नान करने की विधि :-टब में लगभग 12 से 14 इंच गहराईतक पानी भरें जिससे कि टब मेंबैठने पर पानी उपर नाभि तकएवं नीचे आधी जंघाओं तक आजाये |टब में अधलेटी अवस्था [ जैसेआराम कुर्सी पर बैठते हैं ] में बैठजाएँ | दोनों पैर टब के बाहरचौकी पर रख लें | ध्यान रहेकि पानी से पैर न भीगने पायें |रोयेंदार तौलिये से पेडू पर दायें सेबाएं अर्ध चंद्राकर घर्षण करें[ मालिश करें ] |कटि स्नान के बाद शरीर मेंगर्मी लाने के लिए लगभग 15-20 मिनट टहलें,व्यायाम करेंअथवा कम्बल ओढ़कर लेट जाएँ |विशेष :-यदि कमजोरी अधिकहो तो सिर को छोडकर टबसहित पूरा शरीर एक कम्बल सेढक लें |कटि स्नान करते समय तब मेंपीछे से पीठ को बीच-बीच मेंहिलाते रहें, इससे रीढ़ के स्नायुउद्दीप्त होंगे फलस्वरूप शरीर मेंचेतनता आयेगी औररोगप्रतिरोधक क्षमता मेंभी वृद्धि होगी |कटि स्नान से शरीर में होनेवाली प्रतिक्रिया :-साधारण सी दिखने वाली इसक्रिया का प्रभाव सम्पूर्ण शरीर परपड़ता है | यदि यह कहा जायकि “कटि स्नान प्राकृतिकचिकित्सा की संजीवनी बूटी है |”तो अतिशयोक्ति नही होगा |पानी का तापमान शरीर के तापमान सेकम होने के कारण टब में बैठते ही पेडूकी अतिरिक्त गर्मी कम होकरपूरे पाचन तंत्र में संकुचनकी स्थिति उत्पन्न होती हैजिससे कई अंग जैसे लीवर,क्लोमग्रंथि,आमाशय, छोटी आंतआदि में सक्रियता आती है और वेपर्याप्त मात्रा में पाचकरसों को स्रवित करना प्रारंभ करदेते हैं जिससे पाचन तंत्रकी मजबूती के साथ ही जीर्ण कब्ज,जो सभी रोगों की जननी है , सेभी छुटकारा मिलता है | इसकेअतिरिक्त रीढ़ की हड्डी मेंपानी का स्पर्श होने से स्नायुविकरोग भी दूर हो जाते हैं |कटि स्नान से लाभ :-छोटी व् बड़ी आंत केअधिकांशतः सभी रोगकटि स्नान से दूर हो जाते हैं |पेडू की अतिरिक्त गर्मी केफलस्वरूप मल में जो स्वाभाविकनमी होती है, वह सूख जाती हैजिसके कारण मल आंत में सूखकरकड़ा हो जाता है,इसी अवस्था को जीर्ण कब्जया कोष्ठबद्धता कहते हैं |कटि स्नान से पेटकी अतिरिक्त गर्मी पानी मेंनिकल जाती है एवं कब्ज सेमुक्ति मिलती है |दर्द रहित पेडू की पुरानी सूजनमें विशेष लाभकारी है |पीलिया रोग में स्टीम बाथ केतुरंत बाद २-३ मिनटकटि स्नान करने के उपरांत पूर्णस्नान करने से पित्त पर्याप्तमात्रा में निकलता है एवंपीलिया समाप्त हो जाता है |नये एक्जिमा में कटि स्नानअत्यंत लाभकारी है |नियमित कटि स्नान करने सेशरीर की जीवनीशक्तिआश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती हैजिससे कैंसर, लकवा, क्षय जैसेभयंकर रोगों से बचाव होता है |कटि स्नान जननेंद्रियकी दुर्बलता एवं वीर्य के पतलेपनको दूर करता है |बबासीर , आंत, गर्भाशयकी रक्तस्राव की अवस्था मेंकटि स्नान अत्यंत हितकारी है| रक्तस्राव की अवस्था मेंकटि स्नान लेते समय यह ध्यानरहे कि दोनों पैर चौकी पर रखनेकी बजाय किसी बर्तन में गर्मपानी में डुबोकर रखें |इसक्रिया को करने से पेडू मेंस्थित अतिरिक्त रक्त पैरों मेंउतर जाता है तथा पानी की ठंडकसे पेडू सिकुड़ने लगता है,फलस्वरूप रक्तस्राव बंदहो जाता है |अनिद्रा, हिस्टीरिया,चिडचिडापन, स्नायुविकरोगों में कटि स्नानअति लाभप्रद है |स्त्री रोगों में कटि स्नान से लाभ :-स्त्रियों के लगभग सभी रोगों मेंकटि स्नान बहुत लाभकारी है |पुराने रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर मेंकटि स्नान लाभ करता है |गर्भाशय की स्थानभ्रष्टता एवंजब गर्भाशय आदि अन्दर सेबाहर आते मालूमहों तो कटि स्नान सेआश्चर्यजनक रूप से लाभपहुंचता है |गर्भवती स्त्री प्रसव से दो माहपूर्व से ही कटि स्नानलेना प्रारंभ कर दे तो बिना कष्टके सामान्य रूप से प्रसव होगा |गर्भपात के लक्षण दिखाई पड़नेपर यदि २० से ३० मिनट तककटि स्नान लिया जायतो गर्भपात रुक सकता है | इसअवस्था में सावधानीपूर्वक पेटको बहुत धीरे -धीरेरगड़ना आवश्यक है |बाल रोगों में कटि स्नान से लाभ :-बच्चों को कटि स्नान करने सेउनकी स्मरण शक्ति व्बुद्धि का विकास होता है |बच्चों को सोते समय बिस्तर मेंपेशाब करना एक ऐसा रोग हैजिससे बच्चे में इस रोग केआलावा हीनभावना आनी प्रारंभहो जाती है | इनबच्चों को यदि नियमितकटि स्नान कराना प्रारंभ करदिया जाय तो कुछ ही दिनों मेंरोग से छुटकारा मिल जाता है |सावधानियां :-कटि स्नान खाली पेट ही लें |कटि स्नान ऐसी जगह मेंकरना चाहिए, जहाँ परठंडी हवा के झोंके न आ रहे हों |पानी और शरीर का तापमानसमान नही होना चाहिए |कटि स्नान लेने के डेढ़-दो घंटेतक स्नान नहीं करना चाहिए |न्युमोनिया, गठिया, दमा,साईटिका के तीव्र दर्द मेंकटि स्नान नही लेना चाहिए |एपेंडिक्स, गर्भाशय, मूत्राशय,बड़ी आंत, जननेंद्रिय केविभिन्न अवयवों की नई सूजनतथा ह्रदय रोग की ख़राबस्थिति में कभी भी ठन्डेपानी से कटि स्नाननहीं करना चाहिए |पहले दिन ही अधिक ठन्डे जलसे कटि स्नाननहीं करना चाहिएबल्कि प्रथम दो-तीन दिनसामान्य जल [ शरीर के तापमानसे थोडा कम तापमान का जल ]का प्रयोग करें तत्पश्चातक्रमशः प्रतिदिन जल केतापमान को कम करते जाएँ |सामान्यतः कटि स्नान लम्बे समयतक करने पर भी कोई हानि नही हैबल्कि लम्बे समय तक ही क्यों इसेअपनी जीवन शैली मेंही सम्मिलित कर लेना चाहिए,ताकि आपका शरीर स्वस्थ्य एवंजीवन सुखमय रहे |

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सोरायसिस की चिकित्सा

एलोपेथिक चिकित्सा मे यह रोगलाईलाज माना गया है। उनकेमतानुसार यह रोग सारे जीवनभुगतना पडता है।लेकिन कुछकुदरती चीजें हैं जो इस रोग को काबू में रखती हैं lसोरियासिस एक प्रकार का चर्मरोग है जिसमें त्वचा में सेल्सकी तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उसपर खुरंड और पपडियां उत्पन्नहो जाती हैं। ये पपडियां सफ़ेद चमकीली हो सकती हैं।इसरोग के भयानक रुप में पूरा शरीरमोटी लाल रंग की पपडीदारचमडी से ढक जाता है।यह रोगअधिकतर केहुनी,घुटनों औरखोपडी पर होता है। अच्छी बात येकि यह रोग छूतहा याने संक्रामककिस्म का नहीं है। 

चिकित्सा-----------*इस रोग को ठीक करने के लियेजीवन शैली में बदलावकरना जरूरी है। सर्दी के दिनों में ३लीटर और गर्मी के मौसम मे ५ से ६लीटर पानी पीने की आदत बनावें।इससे विजातीय पदार्थ शरीर सेबाहर निकलेंगे।

*सोरियासिसचिकित्सा का एक नियम यह हैकि रोगी को १० से १५ दिन तकसिर्फ़ फ़लाहार पर रखना चाहिये।उसके बाद दूध और फ़लों का रस चालू करना चाहिय l खाने में नमक वर्जित है।

*धूम्रपान करना और अधिकशराब पीना विशेष रूप सेहानि कारक है। ज्यादा मिर्चमसालेदार चीजें न खाएं।

1- केले का पत्ता प्रभावित जगह पररखें। ऊपर कपडा लपेटें। फ़ायदा होगा।2- नींबू के रस मेंथोडा पानी मिलाकर रोग स्थल परलगाने से सुकून मिलता है।नींबू का रस तीन घंटे के अंतर सेदिन में ५ बार पीते रहने से रोगठीक होने लगता है।3- बादाम १० नग का पावडर बनाले।इसे पानी में उबालें। यहदवा सोरियासिस रोग की जगह परलगावें। रात भर लगी रहने के बाद सुबहमे पानी से धो डालें। यह उपचार अच्छेपरिणाम प्रदर्शित करता है।4- पत्ता गोभी सोरियासिस मेंअच्छा प्रभाव दिखाता है। उपरका पत्ता लें। इसे पानी से धोलें।हथेली से दबाकर सपाट कर लें।इसेथोडा सा गरम करके प्रभावितहिस्से पर रखकर उपरसूती कपडा लपेट दें। यह उपचार लम्बेसमय तक दिन में दो बार करने सेजबर्दस्त फ़ायदा होता है।5- एक चम्मच चंदन का पावडर लें।इसेआधा लिटर में पानी मे उबालें।तीसरा हिस्सा रहने पर उतारलें। अबइसमें थोडा गुलाब जल और शकरमिला दें। यह दवा दिन में ३ बारपियें।बहुत कारगर उपचार है।

-Dr. K.DWIVEDI
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-नेत्रज्योति-------------------

रोज नहाने से पूर्वपांव के अंगूठों में सरसों का तेल मलें,नेत्रज्योति बुढ़ापे तक कमजोरनहीं होगी।
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स्वस्थ जीवनशैली के लिए कुछ टिप्स*********************

1. शारीरिक गतिविधियों मेंज्यादा से ज्यादा लिप्त रहें.सुबहउठने पर नहाने से पूर्व करीब 15 बारघुटनों को मोड़ें.15 बार छलांग लगाएं।

2. नाश्ते में कुछमूंगफली या मूंगफली का मक्खनशामिल करें.ऐसा करने से करीब 12घंटों तक आपकी भूख शांत रहेगी।

3. प्रात:कालीन सैर पर जाएं लेकिनइस दौरान अपनी साधारण चाल सेदोगुना तेज चलें.यहआपकी कैलोरी को जलाएगी औरस्वस्थ बने रहने में मदद करेगी।

4. कार्यालय में कुर्सी पर बैठे हुएभी आप कसरत कर सकतेहैं.मांसपेशियों को खींचते हुएअपनी जंघाओं को हल्के से उठाएं औरउसके बाद वापस नीचे रखें.ऐसा करतेसमय आपके पैर जमीन से दो इंचऊपर हों.इससे पांवकी मांसपेशियों में कसाव आएगा।

5. कोशिश करें लिफ्ट औरस्वचालित सीढ़ियों का प्रयोग नकरें.सीढ़ियों सेचलें.आपका कार्यालययदि 20वीं मंजिल परहो तो 18वीं मंजिल के बादसीढ़ियों से जाएं।

6. कार को कार्यालय और बाजार सेकुछ दूरी पर खड़ी करें या कोशिशकरें कि पैदल ही जाएं।

7. आप अपने स्मार्टफोन परफिटनेस एप्लीकेशंस भी डाउनलोडकर सकते हैं यह आपके आहार चार्टको जांचने में आपकी मदद करेगा.- Dr. kailash Dwivedi
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-जब नींद न आये- *****************Nature 1- पैर के नाखूनों परतेल लगायें।

2- तुलसी के एक मुट्ठी भर पत्ते तकिये के नीचे रख दें।

3-भांग पीस कर तलुवों पर लगायें,जल्द नींद आ जायेगी।
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गठिया (जोड़ों का दर्द)

**बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रहग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूरहोता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ।नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिरशाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछेदो - दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

**नागौरी असगन्ध की जड़ और खांडदोनों समभाग लेकर कूट-पीस कपड़ेसे छानकर बारिक चुर्ण बना लें औरकिसी काँच के पात्र में रख लें।प्रतिदिन प्रातः व शाम चार सेछः ग्राम चुर्ण गर्म दूध के साथ खायें।आवश्यकतानुसार तीन सप्ताह सेछः सप्ताह तक लें। इस योग सेगठिया का वह रोगी जिसने खाटपकड़ ली हो वह भी स्वस्थहो जाता है। कमर-दर्द, हाथ-पाँवजंघाओं का दर्द एवंदुर्बलता मिटती है। यह एक उच्चकोटि का टॉनिक है।
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1- भुजंगिनी मुद्रा से पेटके सभी रोग भी समाप्त हो जाते हैं।

2- भुजंगिनी मुद्रा पेट के अंदर भोजनपचाने के रस को पैदा करनेवाली ग्रंथियों और भोजनकी नलियों को नया जीवन देती है।

3- इसको करने से गैस का पुराने से पुराना रोग भी दूर हो जाता है l

विधि ---------किसी भी आसन मेंआराम से बैठकर अपने पूरे शरीरको ढीला छोड़ दें। इसके बाद मुंह सेसांस लेते हुए वायु को इस तरह पेट मेंपहुंचाने की कोशिश करें कि जैसेआप पानी के घूंट पी रहे हों। अब पेटको फुला लें। इसके बाद डकार के साथसांस को बाहर छोड़ दें। फिर इसक्रिया को दुबारा करें।

कितने समय तक करें===============

इस मुद्रा को आप जितनी भी देरतक चाहे कर सकते हैं।-Dr. K.DWIVEDI
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आयुर्वेद का कथन है -”प्रकृति स्मामिक्ष स्मरेत ”अर्थात ‘प्रकृति का सदैव अनुसरणकरो |” मनुष्यों से दूर जंगल में रहनेवाले जीव-जंतु कम बीमार पड़ते हैंऔर बीमार पड़ने पर जल्दही स्वस्थ्य हो जाते हैं | उन्हेंकिसी दवा की जरूरत नही पडती वेकोई टॉनिक नही पीते फिर भी वेमनुष्य से अधिक शक्तिशाली होतेहैं | उनकी माँ गर्भकाल में कोईकथित स्वस्थ्य संबर्द्धकऔषधियां नही लेती न ही कोईविटामिन/आयरनआदि खनिजों को गोलियों के रूपखाती हैं फिर भी वेबिना किसी सर्जरी,बिना किसीकष्ट के अपने बच्चे को जन्मदेती हैं,वह भी ऐसे बच्चेको जो जन्म से ही फुदकने दौड़नेलगे, मनुष्य की तरह कोमल सुकुमारशिशु की तरह नहीं जिसको एकफूल की चोट लगते ही शरीर पर खूनकी लाली उभर आये | ऐसा इसलिएहै की जानवर प्रकृति के सानिध्यमें रहते हैं और प्रकृति प्रदत्तभोजन करते हैं |
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तोतलापन-इस समस्या से जूझने वालेबच्चों को कुछ समय तक रोज एकहरा ताजा आंवला खिलायें। लाभहोगा।
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इमली केबीज दूध में कुछ देर पकाकर औरउसका छिलका उतारकर सफ़ेदगिरी को बारीक पीस ले और घी मेंभून लें, इसके बाद सामान मात्रा मेंमिश्री मिलाकर रख लें | इसेप्रातः एवं शाम को ५-५ ग्राम दूध केसाथ सेवन करने से वीर्य पुष्टहो जाता है | बल और स्तम्भनशक्ति बढ़ती है तथा स्व-प्रमेह नष्टहो जाता है |
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नाक से बहता खून...नकसीर को तत्काल रोक देगा यह देशी उपाय ---_____________________________________________________

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोगों को चाहे जब नकसीर की समस्या से जूझना पड़ता है। कुछ गर्म खा लेने या बाहर की गर्मी लग जाने से नकसीर की समस्या कुछ लोगों को ज्यादा ही परेशान करती है। कुछ लोग अपनी नाजुक प्रकृति के कारण नाक पर जरा सी चोट लगते ही नाक से खून बहने की परेशानी से घिर जाते है।

किसी किसी को तो यह समस्या हर एक परमानेंट बीमारी की तरह होती जा रही है। लेकिन अब घबराइए नहीं कुछ देशी नुस्खों को अपना कर आप पुरानी से पुरानी नकसीर से छुटकारा पा सकते हैं। गांवों और देहातों में आज भी इन 100 फीसदी कारगर नुस्खों को प्रयोग में लाया जाता है

तुरन्त नकसीर बन्द करने के लिए-

1. थोड़ा सा सुहागा पानी में घोलकर नथूनों पर लगाऐं नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।

2. जिस व्यक्ति को नकसीर चल रही है उसे बिठाकर सिर पर ठण्डे पानी की धार डालते हुए सिर भिगों दें। बाद में थोड़ी पीली मिट्टी को भिगोकर सुंघाने से नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।

3) प्याज को काटकर नाक के पास रखें और सूंघें।

4) काली मिट्टी पर पानी छिड़ककर इसकी खुशबू सूंघें।

5) रुई के फाए को सफेद सिरका में भिगोकर उस नथुने में रखें, जिससे खून बह रहा हो।

6) जब नाक से खून बह रहा हो तो कुर्सी पर बिना टेका लिए बैठ जाएं, नाक की बजाय मुंह से सांस लें।7) किसी भी प्रकार के धूम्रपान (एक्टिव या पैसिव दोनों) से बचें।

पित्त शामक ''अच्युताय गुलकंद''का सेवन करे और साफ हरे धनिए की पत्तियों के रस की कुछ बूंदें नाक में डाल लें।

9) शीशम या पीपल के पत्तों को पीसकर या कूटकर , उसका रस नाक में 4-5 बूँद ड़ाल दिया जाए तो एक क्षण में में ही तुरंत आराम आता है .

10) अगर लगातार शीशम के पत्ते पीसकर उनका शर्बत सवेरे शाम पीया जाए तो नकसीर की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाती है .

11) ठंडी तासीर वालों को इसमें काली मिर्च मिला लेनी चाहिए . बिल्व ( बेल) के पत्ते भी साथ में डालकर शरबत पीने से और भी अधिक लाभ होता है .

पुरानी नकसीर की बीमारी को हमेशा के लिए बन्द करने के लिए-

करीब 20 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को कूट कर रात के समय मिट्टी के बर्तन में करीब एक गिलासपानी में डालकर भिगो दें। सुबह पानी को निथारकर छान लें। इस साफ पानी को दो तीन दिन पिलाने से वर्षों का पुराना रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।

विशेष- बच्चों को इस पानी में मिश्री या बताशा मिलाकर पिलाने से किसी भी तरह की नकसीर हमेशा के लिए बन्द हो जाती है।

अनुलोम- विलोम प्राणायाम प्रतिदिन सवेरे शाम खाली पेट करते रहने से, नकसीर की समस्या, हो ही नहीं सकती . नकसीर की बीमारी से बचने के लिए गर्म चीज़ न खाएं . बैंगन इत्यादि कुछ सब्जियां भी गर्म होती हैं ; इनके सेवन से बचें .पित्त शामक अच्युताय गुलकंद(AchyutayaGulkand) का नियमित सुबह-शाम सेवन करे 
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मुँहासों का घरेलू इलाज----------------------------------

* मुँहासे खूबसूरत चेहरे पर लगे धब्बे हैं,अतः इनसे निजात पाना जरूरी है। इसके लिएसुविधानुसार कोई भी तरीका चुना जा सकता है-

* नीम के साबुन से प्रतिदिन स्नान करेंअथवा पानी में दो-चार बूँद डेटॉल डालकर स्नानकरें।

* चंदन में गुलाब जल डालकर उसका लेप लगानेसे भी लाभ होता है। मुँहासों पर आधे घंटे तकयह लगा रहने दें। फिर साफ ठंडे पानी से धो लें।प्रतिदिन इस क्रिया को दोहराएँ। पंद्रह

दिनों में काफी फर्क पड़ जाएगा।* थोड़ा सा चंदन और एक-दो पत्ती केसरपानी के साथ घिसकर प्रतिदिन आधे घंटे तकमुँहासों पर लगाएँ। तत्पश्चात चेहरा साफ-ठंडेपानी से धो लें।

* पुदीने को पीसकर मुँहासों पर लगाने सेभी लाभ होता है। ऐसा प्रतिदिन आधे घंटे तक15 दिनों तक करना चाहिए।

* तुलसी के पत्तों के रस में टमाटरों का रसमिलाकर लगाने से मुँहासों में लाभ होता है।

* चेहरे पर नींबू रगड़ने से भी मुँहासे दूर होते हैं।
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सफेद बालों के लिए घरेलू उपचार---------------------------Nature Care 


**कुछ दिनों तक, नहाने से पहलेरोजाना सिर में प्याज का पेस्टलगाएं। बाल सफेद से काले होनेलगेंगे।**आधा कप दही में चुटकी भरकाली मिर्च और चम्मच भरनींबू रस मिलाकर बालों मेंलगाए। 15 मिनट बाद बालधो लें। बाल सफेद से काले होनेलगेंगे।**नीबू के रस में आंवला पाउडरमिलाकर सिर पर लगाने से सफेदबाल काले हो जाते हैं।तिल खाएं। इसका तेलभी बालों को काला करने में कारगरहै।
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-पैर के तलवे मेंजलनहो रही हो तो लौकी को काटकर तलवे पर मलें।
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બની આઝાદ – ખાન,પાન

આપણા અસ્તિત્વનું પાયાનૂ હોવાપણૂં એટલે આપણું શરીર. એમાં પાચ ઈન્દ્રિયો મારફત જાતજાતની ચીજો અંદર જતી હોય છે. આમાંની – નાક, કાન, આંખો અને ચામડી – એની વાત આગળ ઉપર.

અહીં મોં મારફત શરીરના પોષણ અને વૃદ્ધિ માટે અંદર જતા ખોરાકની વાત કરવાની છે.

આખું આહારશાસ્ત્ર આ માટે મોજૂદ છે – એમાં વધારો શો કરવાનો? અને તે પણ જે એનો નિષ્ણાત નથી , એવા જણ વડે?

આખી જિંદગી આ બાબત સાવ અવગણી, તેના માઠાં પરિણામો ભોગવ્યા બાદ ; માત્ર અહીં પ્રયત્ન છે - આચરણ કરવા માંડેલા થોડાંક અનુશાસનો – ખાનપાનની શિસ્ત. આમાં ઘણા બધા ઉમેરા અને શુધારાને અલબત્ત અવકાશ છે જ; એ નોંધીને, અને ઠીક લાગે તો જ એનો અમલ કરવા આમંત્રણ છે. [ અનુશાસન શબ્દ શિસ્ત કરતાં થોડોક ઓછો અપ્રિય છે! ]

પેટ દબાવીને ન ખાવું. થોડીક જગ્યા હમ્મેશ બાકી રાખવી. કદાચ ક્યાંક બહુ મનભાવન ખાણી પીણી મળી જાય; તો તેના પછીનું ભોજન ટાળવું.જમણ દરમિયાન અને પત્યા બાદના એક કલાક સુધી, પાણી ન પીવું- સિવાય કે, મોં ચોખ્ખું કરવા પૂરતું ચાંગળું પાણી જ.સવારે નાસ્તો અચૂક કરવો.સાંજે સાત વાગ્યા બાદ કશું ખાવું કે પીવું નહીં – પાણી પણ નહીં. ઊંઘ સારી આવશે.દિવસ દરમિયાન બને એટલું પાણી વધારે પીવું.રોજ એક કે બે ફળ ખાવાની ટેવ રાખવી – જમ્યા બાદ કે જમણ સાથે કદી નહીં. બની શકે તો નયણા કોઠે.પોતપોતાના સ્વાસ્થ્યને અનુરૂપ અથવા ડોક્ટરના સૂચન મુજબ ખોરાક લેવો.કસરત કરવાના બે કલાક પહેલાં કશું ખાવું નહીં.ખાણી પીણી જીભના ચટાકા માટે કરવાની ના નથી; પણ એ જમણ કે પીણાંની સાથે એનાથી આપણા પાયાના એકમ જેવા અને આપણા હોવાપણાના વફાદાર સૈનિક જેવા શરીરનાં અવયવો જે સેવા આપે છે – તે માટે આભારની લાગણી અને ‘આ ખોરાક એની સેવા છે.’ એવો ભાવ સેવવો.એ સાથે અનેકોનાં પ્રદાન થકી આ ચીજો આપણા સુધી પહોંચી છે; તે માટે તે સૌને માટે આભારની લાગણી પણ સેવતા રહેવું.અને સૌથી અગત્યનું…

જમવાની પહેલાંની એક ક્ષણ – આ સંકલ્પ યાદ કરી લેવો…

હું કાંઈ નથી.મારું કશું નથી.મારે કશું જોઈતું નથી. 

ભલે જમીએ પણ એ પાયાનું અસ્તિત્વ ટકાવી રાખવા માટેનો સન્નિષ્ઠ પ્રયાસ છે; અને જે ચીજ આરોગીએ છીએ, તે અનેક જીવોના સહકારથી આપણા સુધી પહોંચ્યો છે; એમના આપણે આભારી છીએ – એ ભાવ સેવતા રહીને
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અહી મુકવામા આવતી પોસ્ટ ઘણી બધી વેબ સાઇટ પરથી લઇ સંકલીત કરવામા આવી છે.અહી બધાનું નામ જણાવવું શક્ય નથી પરંતુ એ બધા જ મિત્રો (અને વેબ સાઇટ) નો આભારી છું જેમણે મને પ્રત્યક્ષ કે પરોક્ષ રીતે મદદ કરી છે



मोबाइल से जुडी कई ऐसी बातें

मोबाइल से जुडी कई ऐसी बातें जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती लेकिन मुसीबत के बक्त यह मददगार साबित होती है ।

इमरजेंसी नंबर -दुनिया भर में मोबाइल का इमरजेंसी नंबर 112 है । अगर आप मोबाइल की कवरेज एरिया से बाहर हैं तो 112 नंबर
 द्वारा आप उस क्षेत्र के नेटवर्क को सर्च कर लें . ख़ास बात यह हैकि यह नंबर तब भी काम करता है जब आपका कीपैड लौक हो !
जान अभी बाकी है-मोबाइल जब बैटरी लो दिखाए और उस दौरान जरूरी कॉल करनी हो , ऐसे में आप *3370# डायल करें ,
 आपका मोबाइल फिर से चालू हो जायेगा और आपका सेलफोन बैटरी में 50 प्रतिशत का इजाफा दिखायेगा !
 मोबाइल का यह रिजर्व दोबारा चार्ज हो जायेगा जब आप अगली बार मोबाइल को हमेशा की तरह चार्ज करेंगे !
मोबाइल चोरी होने पर-मोबाइल फोन चोरी होने की स्थिति में सबसे पहले जरूरत होती है , फोन को निष्क्रिय करने की ताकि चोर उसका दुरुपयोग न कर सके ।
 अपनेफोन के सीरियल नंबर को चेक करने के लिए *#06# दबाएँ . इसे दबाते हीं आपकी स्क्रीन पर 15 डिजिट का कोड नंबर आयेगा .
 इसे नोट कर लें और किसी सुरक्षित स्थान पर रखें . जब आपका फोन खो जाए उस दौरान अपने सर्विस प्रोवाइडर को ये कोड देंगे तो वह आपके हैण्ड सेट को ब्लोक कर देगा !

कार की चाभी खोने पर -अगर आपकी कार की रिमोट केलेस इंट्री है और गलती से आपकी चाभी कार में बंद रह गयी है और दूसरी चाभी घर पर
 है तो आपका मोबाइल काम आ सकता है ! घर में किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन पर कॉल करें ! घर में बैठे व्यक्ति से कहें कि वह अपने मोबाइल
 को होल्ड रखकर कार की चाभी के पास ले जाएँ और चाभी के अनलॉक बटन को दबाये साथ ही आप अपने मोबाइल फोन को कार के दरवाजे केपास रखें ,
 दरवाजा खुल जायेगा ! है न विचित्र किन्तु सत्य ?

તમે જાણો છો, હનુમાન ચાલીસાની સેકડો વર્ષ જૂની આ વાત

Know The Importance Of Tulsidas And Ramcharitmanas
તમે જાણો છો, હનુમાન ચાલીસાની સેકડો વર્ષ જૂની આ વાત


આજના સમયમાં હનુમાનજીની ભક્તિ બધી ઈચ્છાને પૂરી કરનારી માનવામાં આવે છે. હનુમાનજીને મનાવવા માટે આજે હનુમાન ચાલીસાનો પાઠ સૌથી સરળ ઉપાય છે. હનુમાન ચાલીસાની રચના ગોસ્વામી તુલસીદાસજીએ સેકંડોવર્ષ પહેલા કરી હતી અને આજે પણ તે સૌથી લોકપ્રિય સ્તુતિ છે.

13 ઓગસ્ટ 2013ના રોજ શ્રાવણ મહિનાની શુક્લ પક્ષની સપ્તમી છે. આ તિથિએ ગોસ્વામી તુલસીદાસજીનો જન્મ થયો હતો. એવું માનવામાં આવે છે કે હનુમાનજી અને શ્રીરામના સાક્ષાત રૂપમાં તુલસીદાસજીને દર્શન આપતા હતા.

અહીં જાણો તુલસીદાસજી અને હનુમાનજી સાથે જોડાયેલ ખાસ વાતો, જે મોટાભાગના લોકો નથી જાણતા....

ગોસ્વામી તુલસીદાસે બહુચર્ચિત અને પ્રસિદ્ધ શ્રીરામચરિતમાનસની રચના કરી. શ્રીરામચરિતમાસની રચના સેકંડો વર્ષો પહેલા કરવામાં આવી હતી અને આજે પણ તે સૌથી વધુ વેચાતો ગ્રંથ છે. વાલ્મિકી દ્વારા રચિત રામાયણનું સરળ રૂપ શ્રીરામચરિતમાનસ છે. આ ગ્રંથ સરળ હોવાને લીધે જ આજે પણ સૌથી વધુ પ્રસિદ્ધ છે. હનુમાન ચાલીસાની રચના પણ તુલસીદાસજીએ જ કરી છે. અહીં વાંચો ક્યારે, કેવી રીતે અને ક્યાં તુલસીદાસે શ્રીરામચરિતમાનસની રચના કરી અને હનુમાનજી સાથે કંઈ રીતે તેમની મુલાકાત થઈ, કેવી રીતે તુલસીદાસ પોતાના પત્નીને કારણે શ્રીરામના અનન્ય ભક્ત બની ગયા.... 

ઉત્તરપ્રદેશના ચિત્રકૂટ જિલ્લાથી થોડે જ દૂર રાજાપુર નામનું એક ગામ છે. આ ગામમાં સંવત 1554ની આસપાસ ગોસ્વામી તુલસીદાસનો જન્મ થયો. તુલસીદાસના પિતા આત્મરામ દુબે અને માતાનું નામ હુલસી હતું. તુલસીદાસનો જન્મ શ્રાવણ મહિનાની શુક્લપક્ષની સપ્તમી તિથિના દિવસે થયો હતો.

એવી માન્યતા છે કે તુલસીદાસના જન્મના સમયે પૂરાં બાર મહિના સુધી માતાના ગર્ભમાં રહેવાને લીધે ઘણા તંદુરસ્ત હતા અને તેમના મુખમાં દાંત પણ જોવા મળી રહ્યા હતા.

સામાન્ય રીતે જન્મ પછી બધા બાળકો રોતા હોય છે પરંતુ આ બાળકે પહેલો શબ્દ બોલ્યો તે હતો રામ. આને લીધે જ તુલસીદાસનું શરૂઆતનું નામ રામબોલા પડ્યું હતું.

માતા હુલસી તુલસીદાસજીને જન્મ આપીને બીજા દિવસે જ મૃત્યુ પામી હતી. ત્યારે પિતા આત્મારામે નવજાત શિશુ રામબોલાને એક દાસીને સોપી દીધો અને પોતે વિરક્ત થઈ ગયા. જ્યારે રામબોલા સાડા પાંચ વર્ષનો થયો તો તે દાસી પણ જીવતી ન રહી. હવે રામબોલા કોઈ અનાથ બાળકની જેમ ગલીએ-ગલીએ ભટકવા વિવશ બની ગયો.

આ પ્રકારે ભટકતા ભટકતા એક દિવસે નરહરિ બાબા સાથે રામબોલાની મુલાકાત થઈ. નરહરિ બાબા તે સમયે પ્રસિદ્ધ સંત હતા. તેમને રામબોલાનું નામ તુલસીદાસ રાખ્યું. ત્યારબાદ તેઓ તુલસીરામે અયોધ્યા, ઉત્તર પ્રદેશ લઈ આવ્યા અને ત્યાં તેમનો યજ્ઞપવિત સંસસ્કાર કરવામાં આવ્યો.

તુલસીરામે સંસ્કારના સમયે વગર શિખવ્યે જ ગાયત્રીમંત્રનું સ્પષ્ટ ઉચ્ચારણ કર્યું, જેને જોઈને બધા લોકો આશ્ચર્યચકિત થઈ ગયા. ત્યારબાર નરહરિ બાબાએ વૈષ્ણવોના પાંચ સંસ્કાર કરીને બાળકને રામ મંત્રની દિક્ષા આપી અને અયોધ્યામાં જ રહીને તેનું વિદ્યાધ્યયન કરાવ્યું. તુલસીરામની બુદ્ધિ ખૂબ જ તેજ હતી. તે એક વખતમાં જ ગુરુ-મુખેથી જે સાંભળી લેતા તે તરત યાદ રહી જતું. ત્યાંથી થોડા સમય પછી ગુરુ-શિષ્ય બંને શૂકરક્ષેત્ર(સોરો) પહોંચ્યા. ત્યાં નરહરિ બાબાએ તુલસીરામને રામકથા સંભળાવી પરંતુ બાળક રામકથા રામકથા સારી રીતે ન સમજી શક્યા.

તુલસીરામના લગ્ન રત્નાવલી નામની ખૂબ જ સુંદર કન્યા સાથે થયા હતા. લગ્ન સમયે તુલસીરામની ઉંમર 29 વર્ષ હતી. લગ્ન પછી તરત જ તુલસીરામ ગોના(આણુ) કર્યા વગર કાશી ચાલ્યા આવ્યા અને અધ્યયનમાં જોડાઈ ગયા. આ પ્રકારે એક દિવસ તેમને પોતાની પત્ની રત્નવલીની યાદ આવી અને તેઓ તેને મળવા માટે વ્યાકૂળ થઈ ગયા. ત્યારે તેઓ પોતાના ગુરુજીની આજ્ઞા લઈને પત્ની રત્નાવલીને મળવા પહોંચ્યા.

રત્નાવલી પીયરમાં હતી અને જ્યારે તુલસીરામ તેમના ઘરે પહોંચ્યા ત્યારે યમુના નદીમાં ભયંકર પુર આવ્યું હતું અને તેઓ નદીમાં તરીને રત્નાવલીના ઘરે પહોંચ્યા. તે સમયે ભયંકર અંધારું છવાયેલું હતું. જ્યારે તુલસીરામ પત્નીના શયનખંડનમાં પહોંચ્યા ત્યારે રત્નાવલી તેમને જોઈને આશ્ચર્યચિકત થઈ ગઈ. લોક-લજ્જાની ચિંતાથી તેણે તુલસીરામને પાછા જોવાનું કહ્યું.

જ્યારે તુલસીરામ પાછા જવા તૈયાર ન થયા ત્યારે રત્નાવલીએ તેમને એક દોહો સંભળાવ્યો, તે દોહો આ પ્રકારે છે...

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति!

नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत?

આ દોહો સાંભળતા જ તુલસીરામ તે સમયે જ રત્નાવલીને પિતાના ઘરે જ છોડીને પાછા પોતાના ગામ રાજાપુરમાં આવી ગયા. જ્યારે તેઓ રાજાપુરમાં પોતાના ઘરે પહોંચ્યા ત્યારે તેમને જાણવા મળ્યું કે તેમના પિતા નથી રહ્યા. ત્યારે તેમને પિતાના અંતિમ સંસ્કાર કર્યા અને તે ગામમાં લોકોને શ્રીરામ કથા સંભળાવવા લાગ્યા.

સમય આ જ રીતે પસાર થવા લાગ્યો. થોડો સમય રાજાપુરમાં રહ્યા પછી તેઓ ફરીથી કાશી પાછા આવ્યા અને ત્યાં રામ-કથા સંભળાવવા લાગ્યા. આ દરમિયાન તુલસીરામે એક દિવસ મનુષ્યના વેશમાં એક પ્રેત મળ્યો, જેને તેમને હનુમાનજીની જગ્યા બતાવી. હનુમાનજી સાથે મળીને તુલસીરામે તેમને શ્રીરામના દર્શન કરાવવાની પ્રાર્થના કરી. ત્યારે હનુમાનજીને કહ્યું કે ચિત્રકૂટમાં રઘુનાથજી દર્શન થશે. ત્યારબાદ તુલસીદાસ ચિત્રકૂટ તરફ ચાલી નિકળ્યા.

ચિત્રકૂટ પહોંચીને તેમને રામઘાટ ઉપર પોતાનું આસન જમાવ્યું. એક દિવસ પ્રદક્ષિણા કરીને નિકળ્યા જ હતા કે તેમને જોયું કે બે ખૂબ જ સુંદર રાજકુમારો ઘોડા ઉપર સવાર થઈને ધનુષ-બાણ લઈને જઈ રહ્યા છે. તુલસસીદાસ તેમને જોઈને આકર્ષિત થઈ ગયા, પરંતુ તેઓ ઓળખી ન શક્યા કે તેઓ જ શ્રીરામ અને લક્ષ્મણ છે.

ત્યારબાદ હનુમાનજીએ આવીને બતાવ્યું કે ત્યારે તુલસીદાસજીએ પશ્ચાતાપ થયો. ત્યારે હનુમાનજીએ તેમને સાંત્વના આપી અને કહ્યું કે સવારના સમયે ફરીથી શ્રીરામના દર્શન કરી શકશે.

ત્યારબાદ આગળના દિવસે સવાર-સવારમાં શ્રીરામ ફરીથી પ્રગટ થયા. ત્યારબાદ તેઓ એક બાળકના રૂપમાં તુલસીદાસની સમક્ષ આવ્યા. શ્રીરામે બાળક રૂપમાં તુલસીદાસજીને કહ્યું કે, તેમને ચંદન જોઈએ. આ બધુ હનુમાનજી જોઈ રહ્યા હતા અને તેમને વિચાર્યું કે તુલસીદાસ આ વખતે શ્રીરામને ઓળખી નથી શક્યા. ત્યારે બજરંગબલીએ એક દોહો કહ્યો...

चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर।

तुलसीदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥

આ સાંભળીને તુલસીદાસજી શ્રીરામજીના અદ્ભૂત દર્શન કર્યા. શ્રીરામના દર્શન કરીને તુલસીદાસજી સુધ-બુધ ખોઈ બેઠા. ત્યારે ભગવાન રામે પોતે જ પોતાના હાથથી ચંદન લઈને પોતાના મસ્તક ઉપર તથા તુલસીદાસજીના મસ્તક ઉપર લગાવ્યું અને અન્તર્ધ્યાન થઈ ગયા.

સંવત 1628માં તુલસીદાસ હનુમાનજીની આજ્ઞા લઈને અયોધ્યા તરફ ચાલી નિકળ્યા. રસ્તામાં તે સમયે પ્રયાસમાં માઘનો મેળો લાગેલો હતો. તુલસીદાસજી થોડા દિવસ માટે ત્યાં રોકાયા. મેળામાં એક દિવસ તુલસીદાસજીએ કોઈ વટવૃક્ષની નીચે ભારદ્વાજ અને યાજ્ઞવલ્ક્ય મુનિના દર્શન થયા. ત્યાં પણ એ જ કથા થઈ રહી હતી જે તમને સૂકરક્ષેત્રમાં પોતાના ગુરુ દ્વારા સાંભળી હતી.

મેળો સમાપ્ત થતા જ તુલસીદાસ પ્રયાસથી ફરી કાશી આવી ગયા અને ત્યાં એક બ્રાહ્મણના ઘરે નિવાસ કરવા લાગ્યા. ત્યાં રહીને તેમની અંદર કવિત્વ શક્તિ જાગૃત થઈ. હવે તેઓ સંસ્કૃતમાં પદ્ય-રચના કરવા લાગ્યા. તુલસીદાસ દિવસમાં તેઓ જેટલા પદ રચતા, રાત્રે તેઓ બધુ જ ભૂલી જતા. આ ઘટના રોજ થતી હતી. ત્યારે એક દિવસ ભગવાન શંકરે તુલસીદાસજીના સપનામાં આવીને આદેશ આપ્યો કે તમે પોતાની ભાષામાં જ કાવ્ય રચના કરો.

ઊંઘમાંથી જાગીને તુલસીદાસજીએ જોયું કે તે સમયે ભગવાન શિવ અને પાર્વતી તેમની સામે જ પ્રગટ થયા છે. પ્રસન્ન થઈને શિવજીને કહ્યું – તમે અયોધ્યા જઈને રહો અને હિંદીમાં કાવ્ય રચના કરો. મારા આશીર્વાદથી તમારી કવિતાઓ સામવેદ સમાન થઈ જશે.

ત્રેતાયુગમાં રામ જન્મ થયો હતો. એ દિવસે સવારના સમયે તુલસીદાસજીએ શ્રીરામચરિતમાનસની રચનાની શરૂઆત કરી. બે વર્ષ, સાત મહિના અને છવ્વીસ દિવસમાં આ અદભૂત ગ્રંથની રચના થઈ. 1633 માર્ગશીર્ષ શુક્લપક્ષમાં રામ-વિવાહના દિવસે સાત કાંડ પૂર્ણ થયા.

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 ઉપરથી લેવામાં આવી છે એ અંગે કોઈ પણ સમસ્યા જણાય તો આપ મેસેજ મા સંપર્ક કરી શકો છો સંકલન નો હેતું ફક્ત 
 લોકો સુધી એક જ સ્થાનેથી પ્રાપ્ય થઇ શકે એટલો જ છે.  
અહી બધાનું નામ જણાવવું શક્ય નથી પરંતુ એ બધા જ મિત્રો (અને વેબ સાઇટ) નો આભારી છું 
જેમણે મને પ્રત્યક્ષ કે પરોક્ષ રીતે મદદ કરી છે

શનિવાર, 12 ઑક્ટોબર, 2013

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MAHUVA: 12 October Saturday, Sanyog For Tantrik Upay12મીએ...

MAHUVA: 12 October Saturday, Sanyog For Tantrik Upay
12મીએ...
: 12 October Saturday, Sanyog For Tantrik Upay 12મીએ, શનિવારની રાત્રે બનશે અદભૂત યોગ, થશે ચમત્કારી કામ એવા કાર્યોમાં વિશેષ સાવધાની રાખવ...

શનિવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2013

mahuva: જય શ્રી કૃષ્ણ

mahuva: જય શ્રી કૃષ્ણ: જય શ્રી કૃષ્ણ ,,,,,,, સવાર , સવારના , કોઈને મળીએ ત્યારે કરી  લઈએ,,,,,,,,,અને સમજીએ કે ધર્મ ને ભક્તિ કરી લીધી ! એ તો  વાજબીપણું ન થયું ...

જય શ્રી કૃષ્ણ

જય શ્રી કૃષ્ણ ,,,,,,, સવાર , સવારના , કોઈને મળીએ ત્યારે કરી 

લઈએ,,,,,,,,,અને સમજીએ કે ધર્મ ને ભક્તિ કરી લીધી ! એ તો

 વાજબીપણું ન થયું , કૃષ્ણને સતત યાદ રાખી જીવવાનું છે , આઠે 

પહોર ! ગીતાના જ્ઞાન , ભક્તિ ,કર્મ ને જીવનમાં વણી નેજીવવાનું

 છે ત્યારે કઈક જય શ્રી કૃષ્ણનો હેતુ સિદ્ધ થયો કહેવાય . રોજની 

પૂજાપાઠ , જપ ,તપ , માળા ,ધૂન ઇત્યાદિ જે કઈ વિધિ વિધાનો

 થાય તે ભાવથી થાય ને દિનભર એક જાગૃતિ રહે કે મન ,વચન

 ,કર્મ થકી સમસ્ત જીવમાત્રને લેશમાત્ર દુઃખ ને હાનિ ન થાય એવું

 જીવન સતત જીવાય ત્યારે જય શ્રી કૃષ્ણ કે બીજા ઈશ્વરના લેવાતાં 

નામ સાર્થક બને